स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण में शिक्षा प्रणात करने एवं चरित्र निर्माण के लिए आचार संहिता निम्न प्रकार है जिसे सभी छात्र-छात्राएँ दृढ़तापूर्वक पालन करेंगे :
- इस महाविद्यालय में सह शिक्षा की व्यवस्था है इसलिए छात्र-छात्राओं को पूर्णतः अनुशासित होकर अध्ययन करना है। किसी प्रकार की अनुशासनहीनता को प्रश्रय नहीं दिया जायेगा |
- छात्र-छात्राओं को निर्धारित समय पर महाविद्यालय आना हैं, चूँकि नियमानुसार 75 % उपस्थिति अनिवार्य है। उपस्थिति की संख्या पूर्ण नहीं होने पर वे परीक्षा से वंचित होगें।
- छात्र-छात्रा महाविद्यालय की सम्पति को किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त न करें। दिवाल य किवाड़ पर किसी प्रकार का अश्लील शब्द लिखते या चित्र बनाते पकड़े जाने पर अनुशासनहीनत की कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
- पढ़ाई के वक्त छात्र-छात्राओं का वर्ग के सामने इकदठा होकर अपने शोरगुल से अध्ययन
में बाधा डालना वर्जित है। कक्षा में व्याख्याता के आने के पूर्व सभी शान्तिपूर्वक कक्षा में बैर रहें।
- छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए कक्षा में सीटे निर्धारित हैं। वे अपनी-अपनी जगह पर हीं बैठे । यदि कोई छात्र छात्राओं की जगह पर बैठे हुए पाये जायेंगे तो उन्हें दण्डित किय
जाएगा। छात्राओं के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए।
- छात्र-छात्राएं सादा एवं साफ-सुथरा लिवास मे महाविद्यालय आवें. वे कोई भी ऐसी भडकीत
पोषाक न पहनें जो महाविद्यालय वातावरण दूषित करे।
- छात्राएँ विषय व्याख्याता के साथ वर्ग में जायेगे एवं साथ वर्ग से निकल कर कॉमन-सम में
चली जायेगी।
- छात्र-छात्राओं को वर्ग से अनुपस्थिति की सूचना एक दिन पूर्व प्राचार्य को दे देंगे। यदि
विशेष परिस्थिति में पूर्व सूचना नहीं दे सके तो महाविद्यालय आने के दिन पिता/अभिभावक
से अनुपस्थिति के कारण सहित आवेदन-पत्र कार्यालय को देंगे।
- महाविद्यालय परिसर में किसी प्रकार की राजनीतिक, साम्प्रदायिक या गुटबाजी का वातावरण
बनाना वर्जित है।
- वर्ग या महाविद्यालय परिसर में किसी प्रकार का नशा-पान करना वर्जित है।
- किसी प्रकार की सूचना को नहीं जानने का बहाना बनाकर या जान बूझ कर गलती करना
दण्डनीय है।
- महाविद्यालय में अनुशासन का विशेष महत्व है। अनुशासन भंग करना गम्भीर अपराध है।
इसमें छात्र-छात्राओं को महाविद्यालय से निष्कासित किया जा सकता है।
- प्रत्येक व्याख्याता को यह अधिकार है कि वे छात्रों को अशिष्ट आचरण एवं अनुशासन भंग
| जीत कर ऐसी स्थिति में व्याख्याता के आदेश का पालन आवश्यक है।
- विद्यार्थी अपनी सुविधाओं एवं दिक्कतों के विषय में प्राचार्य से मिलकर अपनी कठिनाईयों
बता सकते हैं।
- आचार सहिता का पालन करना महाविद्यालय परिवार के प्रत्येक सदस्यों का परम कर्तव्य है।